शारदीय नवरात्रि का उत्सव साल में दो बार मनाए जाने वाले प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है। पहला नवरात्र चैत्र माह में और दूसरा आश्विन माह में आता है। आश्विन माह में मनाए जाने वाले नवरात्र को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है, जो इस साल 3 अक्टूबर 2024 को गुरुवार से शुरू होकर 13 अक्टूबर 2024 को शनिवार के दिन समाप्त होगी।
धर्मिक मान्यताएँ और देवी का आगमन
धार्मिक ग्रंथों और देवी पुराण में बताया गया है कि जब नवरात्रि का आरंभ गुरुवार के दिन होता है, तब देवी का आगमन पालकी में होता है, और यह शुभ संकेत नहीं माना जाता। इस साल भी ऐसा ही संयोग बना है। वहीं, शनिवार के दिन नवरात्रि के समाप्त होने का अर्थ है कि माता रानी पैदल (चरणायुध) विदा लेंगी, जिसे भी अनुकूल नहीं माना जाता। इन घटनाओं का मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और ऐसी मान्यता है कि इससे दुख और अशांति का सामना करना पड़ सकता है।
अशुभ संकेत और सावधानियाँ
माता रानी का पालकी में आना और चरणायुध होकर प्रस्थान करना दोनों ही धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ नहीं माने जाते। ऐसी स्थिति में, भक्तों को इस नवरात्र के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। धार्मिक शास्त्रों में इस बारे में वर्णन मिलता है कि पालकी में माता का आगमन आंशिक महामारी या प्राकृतिक आपदा जैसी परेशानियों का कारण बन सकता है, और चरणायुध प्रस्थान जीवन में समस्याओं को बढ़ा सकता है।
नवरात्रि में पालन करने योग्य नियम
नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान, अगर आप अखंड ज्योत जला रहे हैं तो आपको इस दौरान घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए। इस दौरान लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा जैसी वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। विष्णु पुराण में उल्लेख है कि व्रत करने वाले साधक को दिन के समय नहीं सोना चाहिए, साथ ही इस अवधि में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक होता है।
माता रानी का ध्यान हमेशा सकारात्मक भावनाओं के साथ करना चाहिए और मन में नकारात्मक विचार नहीं लाने चाहिए। इन सभी बातों का ध्यान रखने से नवरात्रि का पूजा-अर्चना का उद्देश्य सफल हो सकता है और भक्त देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।